उत्तराखंड में 9000 करोड़ के जल जीवन मिशन को आखिरी दौर में बूंद-बूंद कर बजट दिया जा रहा है, जिससे परियोजनाएं अटक गई हैं। पिछले करीब आठ महीने में केंद्र से 3900 करोड़ की मांग के सापेक्ष 318 करोड़ ही मिले। अब 3500 करोड़ से ऊपर की दरकार है, जिसके लिए पत्र भेजा जा चुका है।
जल जीवन मिशन के तहत राज्य में पहले 4300 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था, लेकिन डीपीआर बनने के बाद यह आंकड़ा 9000 करोड़ रुपये पहुंच गया था। इस हिसाब से केंद्र से बजट आना भी शुरू हो गया था। कोविड काल में कुछ देरी के बावजूद राज्य में पांच साल में 14,49,170 घरों में से 14,14,169 घरों में पेयजल के कनेक्शन दिए गए।
कनेक्शन के साथ पेयजल योजनाएं बनाई गईं, जिनमें से करीब 70 प्रतिशत पूरी हो गईं और 30 प्रतिशत अधूरी हैं। पिछले आठ माह से इनका निर्माण कार्य बजट की वजह से अटका है। मार्च में केंद्र को 3900 करोड़ की डिमांड भेजी। पर पेयजल निगम को इसमें से 198 करोड़ और जल संस्थान को 120 करोड़ का बजट दिया गया, जिससे 40 फीसदी तक देनदारियां ही निपट पाईं।
ठेकेदारों ने भी हाथ खड़े किए
जल जीवन मिशन का काम देख रहे कई ठेकेदारों ने भी अब बजट न मिलने की वजह से हाथ खड़े कर दिए हैं। उनके पास इतना बैकअप नहीं बचा, जिससे परियोजनाओं का काम जारी रह सके। जो परियोजनाएं छह माह के भीतर पूरी होनी थीं, वह अब ठप पड़ी हैं।
रखरखाव भी हुआ मुश्किल
प्रदेश में जितनी पेयजल परियोजनाएं बन चुकी हैं, अब विभाग के सामने उनका रखरखाव व गुणवत्ता भी चुनौती बन रहा है। बजट न होने से पेयजल विभाग के अफसरों के लिए मुश्किलें पैदा हो रही हैं। आर्थिक मदद मिलने के बाद ही रखरखाव आसान हो सकेगा।
राज्य सरकार ने अगले साल 31 दिसंबर तक सभी परियोजनाएं पूरी करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी बजट नहीं मिला है। शासन स्तर से केंद्र को पत्र भेजा गया है, उम्मीद है जल्द केंद्रीय कैबिनेट से इसे मंजूरी मिल जाएगी। – संजय सिंह, मुख्य अभियंता मुख्यालय, पेयजल निगम